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दोस्तों क्या आप जानते हैं कि भूकंप की परिभाषा या विश्व का सर्वाधिक भूकंप कहा आता है या P,S तथा L तरंगे क्या है आदि ऐसे ही प्रश्नों का जवाब आज के इस पोस्ट में आपको मिलने वाले हैं। तो आप लोग इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़िएगा।



 भूकम्प (Earthquake) 

जब पृथ्वी की सतह अचानक हिलती या कंम्पित हो उठती है तो उसे भूकंप कहते हैं। पृथ्वी के अंदर अचानक हुई हलचलो के कारण भूकंप उत्पन्न होते हैं। ज्वालामुखी उद्गार के समय भी भूकंप आते हैं। भूकंप के कारण अचानक तरंगें पैदा हो जाती है। ये तरंगे हलचल वाले केंद्रों के चारों ओर चलती है जिसके कारण अचानक कंपन पैदा हो जाता है। जिन स्थानों पर भूकंप की तरंगे उत्पन्न होती है, उस स्थान को भूकंप उद्गम केंद्र या भूकंप मूल कहते हैं। केंद्र में भूकंप की तीव्रता अधिक होती है।


भूकंप के प्रकार-भूकंप को उसके स्वभाव एवं उत्पत्ति कारकों के आधार पर निम्न 6 प्रकार में बांटा जा सकते हैं।

1. ज्वालामुखीय भूकंप

2. भ्रंशमुलक भूकंप

3. पातालीय भूकंप

4. समस्थिति भूकंप

5. कृत्रिम भूकंप

6. प्लेट विवर्तनिक भूकंप



नोट :‌ भूकंप मुख्यत: उन क्षेत्रों में ज्यादा आते हैं जहां कमजोर चट्टाने पाई जाती हैं। भूकंपीय तरंगों को नापने के लिए भूकंप लेखी यन्त्र या सीस्मोलॉजी का प्रयोग होता है।

भूकंप में 3 तरह के कंपन होते हैं-

1. प्राथमिक अथवा पी. तरंगे

यह तरंग पृथ्वी के अंदर प्रत्येक माध्यम से होकर गुजरती है। इसकी औसत वेग 8 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है। यह गति सभी तरंगों से अधिक होती है, जिससे यह तरंगे किसी भी स्थान पर सबसे पहले पहुंचती हैं। पृथ्वी से गुजरने के लिए इन तरंगों द्वारा अपनाया गया मार्ग नतोदर होता है।

2. द्वितीय अथवा एस. तरंगे

इन्हें अनुप्रस्थ तरंगे भी कहते हैं। या तरंग केवल ठोस माध्यम से होकर गुजरती है और इसका औसत वेग 4 किलोमीटर प्रति सेकंड होता है।

3. सतही अथवा एल. तिरंगे

इन्हें धरातलीय या लंबी तरंगों के नाम से भी पुकारा जाता है। इन तरंगों की खोज H.D.Love ने की थी। इन्हें कई बार Love waves के नाम से भी पुकारा जाता है। इनका अन्य नाम R-waves है। ये तरंगे मुख्यता धरातल तक ही सीमित रहती है। यह ठोस,तरल तथा गैस तीनों माध्यमों में से गुजर सकती हैं। इसकी चाल 1.5 से 3 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है। सत्ता ही तरंगे अत्यधिक विनाशकारी होती हैं।


भूकंप उत्पत्ति के कारण

भूकंप उत्पत्ति के निम्न कारण है-

1. ज्वालामुखी उद्गार

जब पृथ्वी पर ज्वालामुखी का उद्गार होता है तो वहां भूकंप अवश्य आते हैं। ज्वालामुखी के समय लावा और मैग्मा इतनी जोर से बाहर आता है कि समस्त पृथ्वी कांप उढती है।


2. भू-संतुलन में अव्यवस्था

पृथ्वी पर विभिन्न परतें अपना-अपना कार्य करती रहती हैं। इस प्रक्रिया में विभिन्न क्षेत्रों का भार घटता बढ़ता रहता है जिससे भूगर्भ की परतों में कंपन होता है जिसके कारण उस क्षेत्र में भूकंप के झटके आने लगते हैं।

3. जलीय भार

धरातल के जिन भागों में झीलें, तालाब जलाशय आदि है उनकी नीचे की चट्टानों में भार एवं दबाव के कारण हेर-फेर होने लगता है। यदि यह परिवर्तन अचानक होता है तो भूकंप आते हैं।

4. भूपटल में सिकुड़न

ताप की कमी के कारण पृथ्वी की ऊपरी पपड़ी सिकुड़ने लगती है। यह सिकुड़न पर्वत निर्माणकार्री क्रिया को जन्म देती हैं। जब यह क्रिया तेज होती है तो पृथ्वी में कंपन प्रारंभ हो जाता है।

5. प्लेट विवर्तनिकी

महाद्वीप और महासागर जिस भूखंड पर स्थित होते हैं उन्हें प्लेट कहते हैं। जब यह प्लेटर अपने स्थान से आगे खिसकती हैं तो पृथ्वी में कंपन होता है। 26 जनवरी 2001 को भारत के भुज क्षेत्र में आए भूकंप का कारण प्लेट विवर्तनिकी गति है।



नोट______

गौण तरंगे द्रव पदार्थों में से नहीं गुजर सकती।

एल. तरंगे केवल धरातल के पास ही चलती है।

विभिन्न माध्यमों में से गुजरते समय यह तरंगे परावर्तित तथा प् अपवर्तित होती हैं।

केंद्र : भूकंप के उद्भव स्थान को उसका केंद्र कहते हैं। भूकंप के केंद्र के निकट P,S तथा L तीनों प्रकार की तरंगे पहुंचती हैं। पृथ्वी के भीतरी भाग में यह तरंगे अपना मार्ग बदलकर भीतर की ओर अवतल मार्ग पर यात्रा करती हैं। भूकंप केंद्र से धातु के साथ 11,000 किमी की दूरी तक P तथा S-तरंगे पहुंचती है। केंद्रीय भाग पर पहुंचने पर S-तरंगे लुप्त हो जाती है और P-तरंग अपवर्तित हो जाती हैं। इस कारण भूकंप के केंद्र से 11000 किलोमीटर के बाद लगभग 5000 किलोमीटर तक कोई भी तरंग नहीं पहुंचती है। इस क्षेत्र को छाया क्षेत्र कहा जाता है।


अधिकेंद्र

भूकंप के केंद्र के ठीक ऊपर ही पृथ्वी की सतह पर स्थित बिंदु को भूकंप का अधिकेंद्र कहते हैं। अधिकेंद्र पर सबसे पहले P-तरंगे पहुंचती है।

अंतः सागरीय भूकंप ओ द्वारा उत्पन्न लहरों को जापान में सुनामी कहा जाता है।


भूकंप का विश्व वितरण

भूकंप के अधिकांश क्षेत्र नवीन पर्वत श्रेणियों के पास स्थित है। यह क्षेत्र चट्टानों की दृष्टि से प्राय: अस्थित होते हैं। विश्व के 70% भूकंप क्षेत्र प्रशांत महासागर के उत्तरी भाग तथा दक्षिणी अमेरिका और पूर्वी तटों के किनारे स्थित है। ज्वालामुखी के विश्व वितरण क्षेत्र में भी भूकंप के वितरण क्षेत्र होते हैं क्योंकि ज्वालामुखी विस्फोट के समय भूकंप अवश्य आता है।


भारत के मुख्य भूकंप

किन्नौर हिमालय प्रदेश (1967), कोएना महाराष्ट्र (1991), उत्तरकाशी (1993), लातूर उस्मानाबाद में भयंकर भूकंप आए जिनसे अपार धन जन की हानि हुई थी। 26 जनवरी, 2001 को गुजरात के भुज कस्बे में आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी जीने से 30,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।

विश्व में सर्वाधिक भूकंप जापान में आते हैं।



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