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 UP Board Hindi Solution Class 12 Samanya Hindi कथा भारती Chapter-2 पंचलाइट ( फणीश्वर नाथ रेणु )


UP Board Solutions Class 12 Samanaya Hindi book pdf पंचलाइट कहानी या पंचलाइट कहानी का उद्देश्य 



दोस्तों आज हम पंचलाइट कहानी से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न के उत्तर साझा करने वाले हैं। UP Board में पंचलाइट नामक कहानी से लगभग तीन प्रकार से क्वेश्चन पूछे जाते हैं।


इन बातों का ध्यान रखें-

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि जब हम परीक्षा देने के लिए Exam Room बैठते हैं तो हमारे अंदर उत्साह उमण उठता है। जिसके कारण पूछा गया प्रश्न का उत्तर सही से नहीं दे पाते हैं। प्रश्न का उत्तर लिखने का सही तरीका निम्नलिखित है-

  • सबसे पहले प्रश्न को ध्यान से पढ़ें।
  • जिस प्रकार प्रश्न दिया गया है बिल्कुल उसके सटीक जवाब दें।
  • प्रश्न के उत्तर लिख लेने के बाद उसे एक बार जरूर चेक करें।


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ऐसे लिखें___________


प्रश्न.1

कहानी कला की दृष्टि से ‘पंचलाइट’ कहानी की विशेषताएं।

या, पंचलाइट कहानी की कथावस्तु का तात्विक विवेचन।

या, पंचलाइट कहानी का सारांश।

या, पंचलाइट कहानी का संक्षिप्त कथानक।

या, कथा संगठन की दृष्टि से पंचलाइट कहानी की समीक्षा।

या, पंचलाइट कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।


उत्तर- ‘पंचलाइट’ श्री फणीश्वरनाथ रेणु की प्रसिद्ध वातावरण प्रधान आंचलिक कहानी है, जिसमें बिहार के ग्रामांचल का जीता-जागता चित्र प्रस्तुत किया गया है और गांव की दलबंदी,संकीर्णता तथा सामाजिक रूढ़ियों के खोखलेपन को उधड़ने का प्रयास किया गया है।

संक्षेप में कहानी की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-

कथानक- गांव के महतो टोली द्वारा रामनवमी के मेले से पेट्रोमैक्स, जिसे वे ‘पंचलाइट’ कह कर पुकारते हैं, खरीदी जाती है। उस के उद्घाटन के अवसर को पूजन का आयोजन होता है। संध्या समय कीर्तन मंडली आती है। औरतें इकट्ठी होती है, किंतु ऐन मौके पर यह मालूम होता है कि महतो टोली में ‘पंचलाइट’जलाने का जानकार कोई नहीं है। गांव की दूसरी टोली वाले ताना कसते हैं। अतः वे उनकी सहायता लेकर उनकी कृतज्ञता के बोझ को ढोना उचित नहीं समझते हैं।

गांव की एक लड़की मुनारी, जिसके प्रेमी गोधन को सिनेमा के गीत गाने के अपराध में जाति बहिष्कृत कर दिया गया है, बदल आती है कि गोधन पेट्रोमैक्स जलाना जानता है। टोली का सरदार अपनी जाति की प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए गोधन की सजा को वापस लेता है। गोधन बुलाया जाता है वह बिना स्प्रिट के ही गरी के तेल द्वारा पेट्रोमैक्स जलाकर अपनी दक्षता सिद्ध कर सब पर प्रभाव जमा लेता है और सभी उसे आदर की दृष्टि से देखने लगते हैं।


पात्र और चरित्र-चित्रण

कहानी में व्यक्ति चरित्र की अपेक्षा वर्ग चरित्र की प्रधानता है। सरदार, दीवान, गुलरी फुटंगी आदि प्राचीन रूढियों से ग्रस्त ग्रामीणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे स्वच्छंद आचरण के विरोधी हैं। कल-पुर्जे वाली चीज की पूजा करने के अंधविश्वास के समर्थक हैं। मुनारी और गोधन के चरित्र गांव के दूसरे वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो प्रगतिशील विचारों वाले है। गोधन स्वतंत्र विचारों वाला युवक है। उसका अपराध इतना है कि वह सिनेमा के गीत गाते हुए मुंनरी के घर से निकलता है। क्योंकि वह मुनारी से प्रेम करता है। जिसके कारण मुनरी की मां ने पंचों से गोधन की शिकायत की थी कि वह उसके घर के सामने से सिनेमा का गाना गाकर निकलता है। इस कारण उसे जाति-बहिष्कार के दंड दिया जाता है। मोनरी गांव की साधारण युवति है, जो गोधन के जाति-बहिष्कृत हो जाने पर भी पूरे पूर्ववत् प्रेम रखती है किंतु नारी के सहनशील, संकोच और लज्जा के कारण सबके सामने अपने प्रेमी का नाम नहीं ले पाती।


उद्देश्य- कहानी का उद्देश्य ग्रामीण समाज की अशिक्षा, अज्ञानता,अंधविश्वास, रूढिग्रस्तता आदि का चित्र पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करना है। कहानीकार ने ग्राम अंचल के खोखले अंधविश्वासों और रोगियों की व्याख्या कर पाठकों के समक्ष रख दिया है। 


प्रश्न.2

फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा रचित ‘पंचलाइट’ कहानी का सारांश लिखिए।

उत्तर- 

पंचलाइट’ को क्रय करना

महतो टोले की पंचायत में 15 महीने से जुर्माने का धन जमा होता आ रहा था। रामनवमी के मेले में पंचों ने पेट्रोमैक्स खरीदा जिसे हुए पंचलाइट कहते थे। पंचलाइट खरीदने से ₹10 बचे। पंचो द्वारा इस प्रकार बचे हुए ₹10 से पूजा की सामग्री खरीद कर पूजा करने का निर्णय किया गया। टोले भर के लोग पंच लाइट को देखने आए थे।


कीर्तन की विधिवत तैयारी करना

₹10 की पूजा सामग्री खरीद ली गई। सब लोग इकट्ठे हो गए। छड़ीदार जगनू महतो रह-रह कर लोगों को चेतावनी दे रहा था-हां दूर, जरा दूर से, छु मत देना, ठेस ना लगे। सरदार ने अपनी स्त्री से कहा-शाम को पूजा होगी, जल्दी से नहा-धोकर चौक-पीढ़ी लगाओ। कीर्तन मंडली के सरदार मूलधन ने अपने व्यक्तियों से कहा-देखो,आज पंचलाइट की रोशनी में कीर्तन हो गई। सूर्य अस्त होने की 1 घंटे पहले ही तो ले भर के लोग सरदार के दरवाजे पर इकट्ठा होने लगे।


पंचलाइट जलाने की समस्या

सरदार ने पंचलाइट खरीदने का पूरा किस्सा लोगों को सुनाया। टोले के लोगों ने अपने सरदार और दीवान को श्रद्धा भरी नजरों से देखा। परंतु उस सारे टोले में पंचलाइट जलाना किसी को नहीं आता था। समस्या यह थी कि पंचलाइट जल आएगा कौन? खरीदने से पहले यह बात किसी के दिमाग में आई नहीं थी। आज किसी ने अपने घर में ढिबरी भी नहीं जलाई थी। पंचलाइट न जलने से पंचो के चेहरे उतर गए थे। राजपूत टोले के लोगों ने उनका मजाक बनाया। सब ने धैर्य के साथ उनका मजाक सहन किया।


गोधन का बिरादरी में शामिल किया जाना

सारे टोले में पंच लाइट जलाने की विद्या बस एक ही व्यक्ति जानता है और वह है- गोधन। केवल गुलरी काकी की बेटी मुनरी जानती है कि गोधन पंचलाइट जलाना जानता है। परंतु गोधन को तो पंचों ने बिरादरी से निकाल रखा था, क्योंकि वह सलीमा के गीत सुनाकर और बांसुरी बजा कर मुनरी को अपनी ओर आकर्षित किया करता था। मुनरी ने अपनी सहेली कनेली के कान में यह बात बताई। कनेली ने यह सूचना सरदार की कान तक पहुंचा दी कि गोधन पंचलाइट जलाना जानता है। अब यह विचार करने की बात थी कि बिरादरी से हुक्का बंद गोधन को बुलाया जाए या नहीं। सरदार ने कहा कि- जाति की बंदिश ही क्या जबकि जाति की इज्जत पानी में बही जा रही है! क्योजी दीवान? सब की राय से गोधन को बुलाना तय हो गया। गोधन आकर पंच लाइट जलाने लगा। उसने स्प्रिंट मांगी। उपस्थित जन समूह में फिर मायूसी छा गई। स्प्रिट तो लाई ही नहीं गई थी। गोदान एक्सप्रेस के अभाव में गरी के तेल से ही लाइट जला दी। पंचलाइट को जलती देख कर सब प्रसन्न हो गए और गोधन की प्रशंसा करने लगे। इस प्रकार गोधन को बिरादरी में शामिल कर लिया गया।


प्रश्न.3

आंचलिक कहानी से क्या तात्पर्य है? पंचलाइट कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए

उत्तर- आंचलिक शब्द का प्रयोग पराया उपन्यास के प्रसंग में ज्यादा किया जाता है। किंतु अब यह काव्य कविता, कहानी आदि के संदर्भ में भी प्रयुक्त किया जाने लगा है। इससे किसी अंचल विशेष या ग्राम विशेष का बोध होता है। आलोच्य कहानी बिहार प्रदेश के पूर्णिया जिले के ग्रामीण क्षेत्र और उसके यथार्थ वातावरण का चित्रांकन करती है। इसमें बिहार के ग्रामीण अंचल की सामाजिक परिस्थितियों और मनोवृत्तियों पर प्रकाश डाला गया है। हमारे गांव परस्पर विद्वेष, ईर्ष्या और रूढ़िवादिता से ग्रस्त होकर टोलियों-टुकड़ों में बंटे हुए हैं। इनमें ग्राम की थोथी नैतिक मान्यताओं का भी बड़ा सजीव और यथार्थ चित्र प्रस्तुत किया गया है।




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UP Board Solutions For Class 12 Samanaya Hindi कथा भारती, बहादुर

Up Board Solutions for Class 12 Samanaya Hindi कथा भारती, बहादुर(अमरकांत)

 दोस्तों आज हम आपके साथ 'अमरकांत द्वारा लिखित बहादुर कथा साहित्य' से संबंधित कुछ संक्षिप्त वाक्यांशों को साझा करने वाले हैं। जिसे up board परीक्षा में अक्सर हमेशा पूछा जाता है। अगर आपको यूपी बोर्ड के विद्यार्थी हैं तो आप लोगों जरूर देखे होंगें।


ध्यान दें : 

इस कहानी से संबंधित परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न-

1. कहानी के तत्वों के आधार पर 'बहादुर' कहानी की समीक्षा कीजिए

2. बहादुर कहानी की कथावस्तु लिखिए

3. 'बहादुर' कहानी के वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालिए

4. कथा संगठन की दृष्टि से 'बहादुर' कहानी की समीक्षा कीजिए

5. अमरकांत की संकलित कहानी 'बहादुर' की समीक्षा कीजिए

7. 'बहादुर' कहानी का संक्षिप्त कथानक अपने शब्दों में लिखें

8. पात्र योजना की दृष्टि से बहादुर कहानी की समीक्षा कीजिए

9. अमरकांत की कहानी कला की विशेषताएं संक्षेप में लिखें


उपर्युक्त दिए गए सभी प्रश्नों का उत्तर निम्नलिखित दिया गया है


उत्तर- अमरकांत की बहादुर कहानी एक मध्यवर्गीय परिवार के जीवन की समस्या को लेकर चली है। इसमें एक बेसहारा पहाड़ी लड़की की मार्मिक कथा वर्णित है। कहानी के तत्वों के आधार पर कहानी की समीक्षा इस प्रकार की जा सकती है-

शीर्षक- कहानी का शीर्षक संक्षिप्त, सारगर्भित तथा उपयुक्त है। यह इस कहानी के प्रमुख पात्र बहादुर के नाम पर आधारित है। इसे पढ़कर पाठक के मन में बहादुर के बारे में जानने की इच्छा उत्पन्न होती है। यहां पर बहादुर वीरता का प्रतीक ना होकर पहाड़ी बालक का घरेलू नौकर का पर्याय मात्र है। इस प्रकार यह एक उपयुक्त शीर्षक है।


कथानक- यह कहानी का कथानक अति संक्षिप्त तथा कौतूहलपुर्ण यह 12 13 वर्ष के एक पहाड़ी बालक बहादुर की दयनीय दशा को प्रकट करने वाली कहानी है, जो मां की मार और उपेक्षा से खींझकर शहर भाग आया है। यहां वह निर्मला के यहां नौकरी करता है। वह मेहनत तथा ईमानदारी से कार्य करता है परंतु मालिक इन उस पर सदा अविश्वास करती है। उसे डांटती फटकारती है और अपनी ने रोटी स्वयं बनाने को कहते हैं बार-बार पीटने और धमाका जाने की वजह से बहादुर से भी त्रुटियां हो जाती है। एक दिन निर्मला के यहां कोई संबंधी आए, जिनकी ₹11 खो गए। संदेह में बहादुर को क्रूरता के साथ पिटा गया। बहादुर अपना सभी सामान छोड़कर भाग गया। तब निर्मला एवं उसके पति को अपनी गलती का एहसास हुआ और पश्चाताप भी। या कहानी की मूल घटना है।


पात्र तथा चरित्र-चित्रण-कहानी में पात्रों की संख्या सीमित है। इसमें केवल चार प्रमुख पात्र हैं-बहादुर, निर्मला उसका पति और पुत्र किशोर। ये सभी पात्र मध्यम वर्ग के प्रतिनिधि हैं। बहादुर इसका सर्व प्रमुख पात्र हैं। वाह 12 13 वर्ष का एक पहाड़ी बालक है जो अपनी मां की मारपीट से खींझकर शहर भाग आया है। इस के चरित्र को सहानुभूति पूर्वक से प्रस्तुत किया गया है। उसकी मानसिक दशा के परिवर्तन को बड़ी कुशलता से चित्रित किया गया है। वह निम्न दलित वर्ग का प्रतिनिधि है। कहानी के अन्य पात्र मध्यम वर्ग के प्रतिनिधि हैं। आर्थिक तंगी होते हुए भी यह वर्ग अपनी सफेद पोशी को बनाए रखता है। लेखक की सहानुभूति इस वर्ग के साथ भी है। लेखक ने इस वर्ग की आंतरिक,मानसिक स्थिति का अनुभूति पूर्ण ढंग से चित्रण किया है। इस प्रकार लेखक को पात्रों के चरित्र चित्रण में सफलता मिली है।

देश काल और वातावरण-कहानी की रचना देशकाल को ध्यान में रखकर हुई है। अतः इसमें वातावरण का प्रभावशाली रूप दिखाई पड़ता है। संपूर्ण घटना निर्मला के घर में घटित होती है। घर की निवासी और रिश्तेदारों के व्यवहार और वार्तालाप से उसके वातावरण में वास्तविकता का रूप हमारे सामने आ जाता है। घटना के अनुरूप ही समग्र वातावरण में सघनता तथा गंभीरता आ जाती है, जो कहानी के अंत में चरम बिंदु तक पहुंच जाती हैं। वातावरण की इसी असाधारण तथा कलापूर्ण चित्रण के कारण सारी कहानी एक वास्तविक घटना जैसी प्रतीत होती है।

भाषा शैली-कहानी में सामान्य लोगों की चलती हुई व्यवहारिक भाषा का प्रयोग किया गया है। कहानी की भाषा वक्रता तथा घूम आओ फिर आओ से सर्वथा दूर सरल तथा स्वभाविक है। इसमें उर्दू के प्रचलित शब्द (बर्दाश्त, शराफत, तमीज, शायद, अफसोस आदि), दूसरे शब्दों तथा मुहावरे का भी यथा स्थान प्रयोग करके उपयुक्त वातावरण की सृष्टि की गई है।

उद्देश्य-कहानी निम्न मध्यवर्गीय समाज के मनोविज्ञान का वास्तविक चित्र अंकित करती है। आधुनिक समाज झूठे प्रदर्शन और शासन शौकत में विश्वास करता है। वह बनावटी जिंदगी जीना पसंद करता है। कहानीकार ने निम्न वर्ग के प्रति सहानुभूति रखते हुए मध्यम वर्ग के लोगों की स्थिति की वास्तविकता को समझा है। उसमें बार के भेद मिटाने को प्रोत्साहन दिया है। कहानीकार का संदेश है कि मानवीय सहानुभूति हुई वर्ग भेद मिटा सकती है।


प्रश्न- बहादुर कहानी के मुख्य पात्र दिल बहादुर का चरित्र चित्रण कीजिए।

                 अथवा

 बहादुर कहानी के नायक का चरित्र चित्रण कीजिए।


उत्तर-बहादुर एक चरित्र प्रधान कहानी है। एक बेसहारा पहाड़ी बालक दिल बहादुर इसका नायक है। बहादुर के चरित्र की मुख्य विशेषताएं निम्न प्रकार है-

असहाय और भोला-बहादुर बिहार प्रांत का रहने वाला है। माता के व्यवहार से पीड़ित होकर वह अपना घर छोड़ देता है। प्यार का व्यवहार पाकर निर्मला के परिवार का सारा कार्य संभाल लेता है।

परिश्रमी और इमानदार-बहादुर सुबह 8:00 बजे से लेकर रात्रि तक कार्य करता है। मारपीट के उपरांत भी वह दिल लगाकर कार्य करता है। चोरी नहीं करता बल्कि झूठे इल्जाम पर मार भी खाता है।

प्रेम का भूखा- वह मातृत्व प्रेम, स्नेह के व्यवहार का भूखा है, जो उसे अपने घर में नहीं मिलता। वह प्रेम शुरू में निर्मला के परिवार से मिलता है, मगर जब वह भी अच्छा व्यवहार नहीं करती तब हुआ घर छोड़ देता है।

सहनशील और स्वाभिमान-बहादुर सहिष्णु है। घर में उसे सभी डांटते हैं, लेकिन वह सब कुछ सहन कर लेता है, यहां तक कि उसे निर्मला, निर्मला का पति और किशोर सब बुरी तरह पीटते हैं। पीटाई को भी वह सहन करता है। गालियों की बौछार ए होती हैं,उनका भी वह विरोध नहीं करता, लेकिन जब किशोर उसके बाप को गाली देता है तो उसका स्वाभिमान जाग उठता है। वह उसका काम करने से इंकार कर देता है।

व्यवहार-कुशल-बहादुर एक व्यवहार कुशल बालक है। अपने इसी गुण के कारण थोड़े से समय में ही वह घर के सभी सदस्यों पर जादू का पुरा प्रभाव डाल देता है। घर के हर सदस्य के प्रति उसका बड़ा ही मृदु व्यवहार है। मोहल्ले के बच्चों को भी वह अपने गाने सुना कर मोहित कर लेता है।



मुझे आशा है कि आप लोगों को इन प्रश्नो के उत्तर से बहुत ही सहायता मिली होगी।


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