पर्यावरण-प्रदूषण : समस्या और समाधान
Environmental pollution problem and solution.
दोस्तों आज पर्यावरण और प्रदूषण, पर्यावरण संरक्षण का महत्व, पर्यावरण असंतुलन, पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय आदि इन सभी हम लोग एक निबंध लिखने वाले हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में पर्यावरण प्रदूषण लेकर Government चिंतित रहती हैं। और अलग-अलग तरीकों से लोगों को यह बताना चाहती है कि पर्यावरण को दूषित होने से रोके लेकिन फिर भी लोग मानते कहां है। तो आज हम लोग भी अपनेेे निबंध केे द्वारा लोगों में जागरूकता फैलाने का प्रयास करते हैं।
निबंध लेखन के लिए निम्नलिखित प्रश्न दिए गए हैं-
1. पर्यावरण प्रदूषण: समस्या और समाधान
2. पर्यावरण और प्रदूषण
3. पर्यावरण संरक्षण का महत्व
4. असंतुलित पर्यावरण : प्राकृतिक आपदाओं का कारण
5. विश्व परिदृश्य में पर्यावरण प्रदूषण
6. पर्यावरण प्रदूषण : कारण और निवारण
7. धरती की रक्षा : पर्यावरण सुरक्षा
8. पर्यावरण असंतुलन
9. पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय
10. पर्यावरण संरक्षण और वनस्पतियां
11. पर्यावरण प्रदूषण और निराकरण के उपाय
एक निबंध में निम्नलिखित प्रमुख विचार-बिंदु होना चाहिए-
1. प्रस्तावना,
2. प्रदूषण का अर्थ,
3. प्रदूषण के प्रकार,
4. प्रदूषण की समस्या और उसे से हानियां,
5. समस्या का समाधान,
6. उपसंहार
प्रस्तावना-( Preface )
जो हमें चारों ओर से परिवृत्त किए हुए हैं हैं वही हमारा पर्यावरण है। इस पर्यावरण के प्रति जागरूकता आज की प्रमुख आवश्यकता है क्योंकि यह प्रदूषित हो रहा है। प्रदूषण की समस्या प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत के लिए अज्ञात थी। यह वर्तमान युग में हुई औद्योगिक प्रगति एवं शस्त्रास्त्रो के निर्माण की एक फल स्वरुप उत्पन्न हुई है। आज इस ने इतना विकराल रूप धारण कर लिया है कि इससे मानवता के विनाश का संकट उत्पन्न हो गया है। मानव जीवन मुक्त स्वच्छ वायु और जल पर निर्भर है किंतु यदि यह दोनों ही चीजें दूषित हो जाए तो मानव के अस्तित्व को ही भय पैदा होना स्वभाविक है। अतः इस भयंकर समस्या के कारणों एवं उनके निराकरण के उपायों पर विचार करना मानव मात्र के हित में है। ध्वनि प्रदूषण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता रॉबर्ट कोच ने कहा था “1 दिन ऐसा आएगा जब मनुष्य को स्वस्थ के सबसे बड़े शत्रु के रूप में निर्देश ओर से संघर्ष करना पड़ेगा।” लगता है कि वह दुखद दिन अब आ गया है।
प्रदूषण का अर्थ ( Meaning of pollution )
स्वच्छ वातावरण में ही जीवन का विकास संभव है। पर्यावरण का निर्माण प्रकृति के द्वारा किया गया है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त पर्यावरण जीव धारियों के अनुकूल होता है जब इस पर्यावरण में किन्ही तत्वों का अनुपात इस रूप में बदलने लगता है जिसका जीव धारियों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना होती है तब कहा जाता है कि पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है। या प्रदूषित वातावरण जीव धारियों के लिए अनेक प्रकार से हानिकारक होता है। जनसंख्या की असाधारण वृद्धि एवं औद्योगिक की प्रगति की ने प्रदूषण की समस्या को जन्म दिया है और आज इसमें इतना विकराल रूप धारण कर लिया है कि इससे मानवता के विनाश पर संकट उत्पन्न हो गया है। औद्योगिक तथा रासायनिक कूड़े कचरे के ढेर से पृथ्वी हवा तथा पानी प्रदूषित हो रहे हैं।
प्रदूषण के प्रकार ( type of pollution )
आज के वातावरण में प्रदूषण निम्नलिखित रूपों में दिखाई पड़ता है-
1. वायु प्रदूषण (air pollution)
वायु जीवन का अनिवार्य स्रोत है। प्रत्येक प्राणी को स्वस्थ रुप से जीने के लिए शुद्ध वायु की आवश्यकता होती है, जिस कारण वायुमंडल में इसका विशेष अनुपात होना आवश्यक है। जीवधारी सास द्वारा एक्सीडेंट ग्रहण करता है और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है। पेड़ पौधे कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और हमें एक्सीडेंट प्रदान करते हैं। इससे वायुमंडल में शुद्धता बनी रहती है परंतु मनुष्य की अज्ञानता और स्वार्थी प्रवृत्ति के कारण आज वृक्षों का अत्यधिक कटावहो रहा है। घने जंगलों से ढके पहाड़ आज नंगे दिख पड़ते हैं। इससे ऑक्सीजन का संतुलन बिगड़ गया है और वायु अनेक हानिकारक गैसों से प्रदूषित हो गई है। इसके अलावा कोयला तेल धातुकणो तथा कारखानों की चिमनियो के धुएं से हवा में अनेकों हानिकारक गैसें भर गई हैं, जो प्राचीन इमारतों, वस्त्रों, धातु तथा मनुष्य के फेफड़ों के लिए अत्यधिक घातक है। देश की राजधानी दिल्ली में गाड़ियों और औद्योगिक संयंत्रों से निकलने वाले धुएं से आंखें ही जलने लगती है, साथ ही फेफड़े भी काली की खतरनाक महीन पर से ढक जाते है।
2. जल प्रदूषण(water pollution)
जीवन के अनिवार्य स्रोत के रूप में वायु के बाद प्रथम आवश्यकता जल की ही होती है। जल को जीवन कहा जाता है। जल का शुद्ध होना स्वस्थ जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। देश के प्रमुख नगरों के जल का स्रोत हमारी सदानीरा नदियां है। फिर भी हम देखते हैं कि बड़े बड़े नगरों के गंदे नाले तथा सीवारों को नदियों से जोड़ दिया जाता है। विभिन्न औद्योगिक व घरेलू स्रोतों से नदियों व अन्य जल स्रोतों में दिनों-दिन प्रदूषण पनपता जा रहा है। तालाबों,पोखरो व नदियों में जानवरों को नहलाना,मनुष्य एवं जानवरों के मृत शरीर को जल में प्रवाहित करना आदि ने जल प्रदूषण में बेतहाशा वृद्धि की है। कानपुर,आगरा, मुंबई, अलीगढ़ और न जाने कितने नगरों के कल कारखानों का कचरा गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों को प्रदूषित करता हुआ सागर तक पहुंच रहा है। औद्योगिक नगरों के निकट के जल स्रोतों को दूषित करने में है रेडियोएक्टिव व्यर्थ पदार्थ तथा धात्विक पदार्थ भी विशेष योगदान देते हैं। प्लास्टिक की थैलियां,तैलीय पदार्थ तथा कृषि कार्य में प्रयुक्त होने वाले कीटनाशक तथा रासायनिक उर्वरकों के जल में मिलने से भी जल प्रदूषण बढ़ता है।
3. ध्वनि प्रदूषण(sound pollution)
ध्वनि प्रदूषण आज की एक नई समस्या है। इसे वैज्ञानिक प्रगति ने पैदा किया है। मोटरकार, ट्रैक्टर, जेट विमान, कारखानों के सायरन मशीनें लाउडस्पीकर आदि ध्वनी के संतुलन को बिगाड़ कर ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करते हैं। तेज ध्वनि से श्रवण शक्ति का ह्रास हो तो होता ही है साथ ही कार्य करने की क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे अनेक प्रकार की बीमारियां पैदा हो जाती है। अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण से मानसिक विकृति तक हो सकती हैं।
4. रेडियोधर्मी प्रदूषण(radioactive pollution)
आज के युग में वैज्ञानिक परीक्षणों का जोर है। परमाणु परीक्षण निरंतर होते ही रहते हैं। इनके विस्फोट से रेडियोधर्मी पदार्थ वायुमंडल में फैल जाते हैं और अनेक प्रकार से जीवन को क्षति पहुंचाते हैं। दूसरे विश्व युद्ध के समय हिरोशिमा और नागासाकी में जो परमाणु बम गिराए गए थे, उनसे लाखों लोग अपंग हो गए थे और आने वाली पीढ़ी भी इसके हानिकारक प्रभाव से अभी भी अपने को बचा नहीं पाई है।
5. रासायनिक प्रदूषण(chemical pollution)
कारखानों से बहते हुए अवशिष्ट द्रव्यों के अतिरिक्त उपज में वृद्धि की दृष्टि से प्रयुक्त कीटनाशक दवाइयों और रसायनिक खादों से भी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह पदार्थ पानी के साथ बहाकर नदियों तालाबों और अंततः समुद्र में पहुंच जाते हैं और जीवन को अनेक प्रकार से हानि पहुंचाते हैं।
प्रदूषण की समस्या और उसे से हानियां
The problem of pollution and its disadvantages.
निरंतर बढ़ती हुई मानव जनसंख्या,रेगिस्तान का बढ़ते जाना, भूमि का कटाव, ओजोन की परत का सिकुड़ना, धरती के तापमान में वृद्धि, वनों के विनाश तथा औद्योगिकरण ने विश्व के सम्मुख प्रदूषण की समस्या पैदा कर दी है। कारखानों के धुए से विषैले कचरे कि बाहर से तथा जहरीली गैसों के रिसाव से आज मानव जीवन समस्याग्रस्त हो गया है। आज तकनीकी ज्ञान के बल पर मानव विकास की दौड़ में एक दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ में लगा है। इसी होड़ में वह तकनीकी ज्ञान का ऐसा गलत उपयोग कर रहा है, जो संपूर्ण मानव जाति के लिए विनाश का कारण बन सकता है। युद्ध में आधुनिक तकनीकी पर आधारित मिसाइलों और प्रक्षेपास्त्रों ने जनधन की अपार क्षति तो की है साथ ही पर्यावरण पर भी घातक प्रभाव डाला है। जिसके परिणाम स्वरूप स्वास्थ्य में गिरावट उत्पादन में कमी और विकास प्रक्रिया में बाधा आई है। वायु प्रदूषण का गंभीर प्रतिकूल प्रभाव मनुष्य एवं अन्य प्रणालियों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। सिरदर्द, आंखे दुखना, खांसी, दमा,हृदय रोग आदि किसी-न-किसी रूप में वायु प्रदूषण से जुड़े हुए हैं। प्रदूषित जल के सेवन से मुख्य रूप से पाचन तंत्र संबंधी रोग उत्पन्न होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रतिवर्ष लाखों बच्चे दूषित जल पीने के परिणाम स्वरुप उत्पन्न रोगों से मर जाते हैं। ध्वनि प्रदूषण के भी गंभीर और घातक प्रभाव पड़ते हैं। ध्वनि प्रदूषण के कारण शारीरिक और मानसिक तनाव तो बढ़ता ही है, साथ ही शोषण गति और नाड़ी गति में उतार-चढ़ाव जठरान्त्र की गतिशीलता में कमी तथा रुधिर परिसंचरण एवं हृदय पीएसी के गुणों में भी परिवर्तन हो जाता है तथा प्रदूषण अन्य अनेकानेक बीमारियों से पीड़ित मनुष्य समय से पूर्व ही मृत्यु का ग्रास बन जाता है।
समस्या का समाधान ( problem solving )
महान शिक्षाविद और नीति निर्माताओं ने इस समस्या की ओर गंभीरता से ध्यान दिया है। आज विश्व का प्रतीक देश इस और सजग है। वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए वृक्षारोपण सर्वश्रेष्ठ साधन है। मानव को चाहिए कि वह वृक्षों और वनों को कुल्हाड़ीयों का निशाना बनाने के बजाय उन्हें फलते-फूलते देखे तथा सुंदर पशु पक्षियों को अपना भोजन बनाने के बजाय उनकी सुरक्षा करें। साथ ही भविष्य के प्रति आशंकित,आतंकित होने से बचने के लिए सबको देश की असीमित बढ़ती जनसंख्या को सीमित करना होगा, जिससे उनके आवास के लिए खेतों और वनों को कम ना करना पड़े। कारखाने और मशीनें लगाने की अनुमति उन्हीं व्यक्तियों को दी जानी चाहिए जो औद्योगिक कचरा और मशीनों के धुएं को बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था कर सकें। संयुक्त राष्ट्र संघ को चाहिए कि वह परमाणु परीक्षण को नियंत्रित करने की दिशा में कदम उठाएं। तकनीकी ज्ञान का उपयोग खोए हुए पर्यावरण को फिर से प्राप्त करने पर बल देने के लिए किया जाना चाहिए। वायु प्रदूषण से बचने के लिए हर प्रकार की गंदगी और कचरे को विधिवत समाप्त करने के उपाय निरंतर किए जाने चाहिए। जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए औद्योगिक स्थानों में ऐसे व्यवस्था की जानी चाहिए कि व्यर्थ पदार्थों एवं जल को उपचारित करके ही बाहर निकाला जाए तथा इनको जल स्रोतों से मिलने से रोका जाना चाहिए। इंग्लैंड में लंदन का मेला पहले टेम्स नदी में गिर कर जल को दूषित करता था। अब वहां की सरकार ने टेम्स नदी के पास एक विशाल कर खाना बनाया है। जिसमें लंदन की सारी गंदगी और मैला मशीनों से साफ होकर उत्तम खाद बन जाता है और साफ पानी टेम्स नदी में छोड़ दिया जाता है। अब इस पानी में मछली या पहले से कहीं अधिक संख्या में पैदा हो रही हैं। ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए भी प्रभावी उपाय किए जाने चाहिए। सार्वजनिक रूप से लाउडस्पीकर आदि के प्रयोग को नियंत्रित किया जाना चाहिए।
उपसंहार (Epilogue)
पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण को रोकने हुआ उसके समुचित संरक्षण के लिए समस्त विश्व में एक नई चेतना उत्पन्न हुई है। हम सभी का उत्तर दायित्व है कि चारों ओर बढ़ते इस प्रदूषित वातावरण के खतरों के प्रति सचेत हो तथा मनोयोग से संपूर्ण परिवेश को स्वच्छ व सुंदर बनाने का प्रयत्न करें। वृक्षारोपण का कार्यक्रम सरकारी स्तर पर जोर शोर से चलाया जा रहा है तथा वनों की अनियंत्रित कटाई को रोकने के लिए भी कठोर नियम बनाए गए हैं। इस बात के भी प्रयास किए जा रहे हैं कि नए वन क्षेत्र बनाए जाएं और जन सामान्य को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इधर न्यायालय द्वारा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को महानगरों से बाहर ले जाने के आदेश दिए गए हैं तथा नए उद्योगों को लाइसेंस दिए जाने से पूर्व उन्हें औद्योगिक कचरे के निस्तारण की समुचित व्यवस्था कर पर्यावरण विशेषज्ञ से स्वीकृति प्राप्त करने को अनिवार्य कर दिया गया है। यदि जनता भी अपने ढंग से इन कार्यक्रमों में सक्रिय सहयोग दें और यह संकल्प ले कि जीवन में आने वाले प्रत्येक शुभ अवसर पर कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाएगी तो निश्चित ही हम प्रदूषण के दुष्परिणामों से बच सकेंगे और आने वाली पीढ़ी को भी इसकी काली छाया से बचाने में समर्थ हो सकेगा।
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